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क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो केवल फिल्म निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र के रचनात्मक भविष्य को आकार देने का माध्यम है” : सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन

टैलेंट टर्बो मोड में! भारत के अगली पीढ़ी के रचनाकारों ने क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो 2025 की शुरुआत के साथ ही धमाल मचाया

 

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56th IFFI

 

दर्पण न्यूज गोवा पणजी इफ्फी :  टैलेंट टर्बो मोड में! भारत के अगली पीढ़ी के रचनाकार आज गोवा में आज क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो (सीएमओटी) 2025 के पांचवें संस्करण  मंच पर उतरे, जिसने इस खूबसूरत तटीय शहर ने देश के सबसे प्रतिभाशाली और उभरते युवा फिल्म निर्माताओं के लिए एक रचनात्मक केंद्र बनकर नई ऊर्जा बिखेरी।

 

125 उभरते हुए कलाकार 48 घंटे की रोमांचक फ़िल्म निर्माण चुनौती में अपनी प्रतिभा का जादू बिखेरने को तैयार हैं। इस शानदार एवं रचनात्मक सफर में विचार किसी चिंगारी की तरह जन्म लेते हैं और पलक झपकते ही स्क्रीन पर चमक उठते हैं। यह सिर्फ एक महोत्सव नहीं है, वास्तव में यह वही जगह है, जहां पर आने वाली पीढ़ी के निर्देशक, अभिनेता और कहानीकार अपनी ब्लॉकबस्टर कहानियों का निर्माण शुरू करते हैं।

 

 

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने प्रतिभागियों के जुनून तथा रचनात्मकता की सराहना की। डॉ. एल. मुरुगन ने 2021 से इस पहल की निरंतर प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो ने युवा कहानीकारों को एक अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि यह मंच भारत के उभरते रचनाकारों को वैश्विक निर्माताओं और रचनात्मक नेटवर्क से जोड़ता है। यह केवल फिल्म केवल फिल्म निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र के रचनात्मक भविष्य को आकार देने का माध्यम है।

डॉ. मुरुगन ने प्रतिभागियों से 48 घंटे की इस गहन फिल्म निर्माण चुनौती को पूरे समर्पण के साथ स्वीकार करने का आग्रह किया और इस बात पर बल दिया कि “ऐसे उच्च-दबाव वाले अनुभव आपके कौशल को निखारने के साथ ही आपकी सर्वश्रेष्ठ क्षमता को सामने लाते हैं।” उन्होंने मुंबई में नव-स्थापित भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान सहित प्रमुख सरकारी पहलों को भी रेखांकित किया। यह एक ऐसा संस्थान है जिसे उभरती प्रतिभाओं को पोषित करने, भारत के रचनात्मक पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त  बनाने और ऑरेंज अर्थव्यवस्था को गति देने के उद्देश्य से बनाया गया है। यह पहल प्रधानमंत्री के उस दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो भारत को एक जीवंत व नवाचार-संचालित रचनात्मक महाशक्ति के रूप में स्थापित करना चाहता है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने चयनित युवाओं को बधाई देते हुए उनके चयन को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। सचिव ने उनके उत्साह और रचनात्मक ऊर्जा की सराहना करते हुए पिछले वर्ष की चुनौती से निकली असाधारण फिल्मों को याद किया और अंतिम शोकेस को “लगभग ऑस्कर जैसा” अनुभव बताया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो एक अनोखे सहयोग की संस्कृति को जन्म देता है, जहां पर एक-दूसरे के लिए अजनबी प्रतिभागी भी इस तरह के वातावरण में मिलकर अद्भुत कहानियां गढ़ते हैं। श्री जाजू ने हाल ही में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने वाले क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो के एक पूर्व छात्र का उल्लेख करते हुए कहा कि अब आप युवाओं में से कई लोग आगे चलकर भविष्य के कहानीकार बनेंगे और भारत के वैश्विक सांस्कृतिक राजदूत के रूप में उभरेंगे।

शॉर्ट्स इंटरनेशनल के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी कार्टर पिल्चर ने इस वर्ष के क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो को अब तक के सबसे रोमांचक आयोजनों में से एक बताया। उन्होंने किसी भी अन्य वैश्विक महोत्सव की तुलना में एक बेजोड़ मंच तैयार करने के लिए मंत्रालय की सराहना की। श्री पिल्चर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के प्रतिभागी कान्स सहित दुनिया भर के प्रमुख महोत्सवों में अपनी फिल्मों का प्रदर्शन कर चुके हैं और कुछ तो ऑस्कर शॉर्टलिस्ट तक भी पहुंच चुके हैं। उन्‍होंने रचनाकारों से आग्रह किया कि वे इस अवसर का उपयोग सीखने, सहयोग करने और अपनी रचनात्मक सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए करें। साथ ही कार्टर पिल्चर ने यह भी कहा कि लघु-रूप कहानी-कथन आज वैश्विक मनोरंजन के केंद्र में आ चुका है।

उद्घाटन के दौरान संयुक्त सचिव (फिल्म) डॉ. अजय नागभूषण और एनएफडीसी के प्रबंध निदेशक श्री प्रकाश मगदुम भी उपस्थित थे।

क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो (सीएमओटी) के बारे में

क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो (सीएमओटी) सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) और राष्ट्रीय फ़िल्म विकास निगम (एनएफडीसी) की एक दूरदर्शी पहल है, जिसका उद्देश्य भारतीय फिल्म उद्योग के उभरते सितारों को खोजकर व उन्हें निखारकर राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में लाना है। यह केवल एक प्रतिभा कार्यक्रम नहीं है, बल्कि भविष्य के कहानीकारों के लिए ऐसा लॉन्चपैड है, जहां से वे भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा और नई दिशा देंगे।

हर वर्ष, क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो कच्चे जुनून को सिनेमाई प्रतिभा में ढालता है और देश भर के उभरते फिल्म निर्माताओं को एक असाधारण अवसर प्रदान करता है। यहां एशिया के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में से एक में वैश्विक मंच पर अपने कौशल को प्रदर्शित करने का अवसर प्राप्त होता है।

इस पहल के भारत के प्रमुख फिल्म महोत्सव के दौरान चार सफल आयोजन हो चुके हैं। इस ऐतिहासिक पांचवे संस्करण में क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो एक बार फिर भारत भर से कुल 13 फिल्म विधाओं में लगभग 125 युवा प्रतिभाओं को प्रदर्शित करेगा।

इफ्फी के बारे में जानकारी

 

वर्ष 1952 में स्थापित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) दक्षिण एशिया में सिनेमा का सबसे पुराना और सबसे बड़ा उत्सव है। भारत सरकार  के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) और गोवा सरकार के एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा (ईएसजी) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह महोत्सव अब एक वैश्विक सिनेमाई केंद्र बन चुका है। यहां पर पुनर्स्थापित क्लासिक फिल्में साहसिक प्रयोगों के साथ मिलती हैं और दिग्गज कलाकार निडर होकर नवोदित कलाकारों के साथ मंच साझा करते हैं। इफ्फी की असली चमक इसकी बहुआयामीता—अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक प्रदर्शनियां, मास्टरक्लास, श्रद्धांजलियांऔर उच्च ऊर्जा वाला वेव्स फिल्म बाजार में निहित है, जहां पर विचार, सौदे और सहयोग उड़ान भरते हैं। 20 से 28 नवंबर तक गोवा की सुरम्य तटीय पृष्ठभूमि में आयोजित होने वाला 56वां संस्करण भाषाओं, शैलियों, नवाचारों और ध्वनियों की एक जीवंत श्रृंखला का आश्वासन देता है, जो विश्व मंच पर भारत की रचनात्मक प्रतिभा का एक व्यापक एवं शानदार उत्सव है

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